पूर्णप्रज्ञसंशोधनमन्दिरम्

पूर्णप्रज्ञविद्यापीठ, डा.श्री विश्वेशतीर्थस्वामीजी मार्ग , कत्तरिगुप्पे मेन् रोड् , बेङ्गलुरु - ५६००७०

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Bhagavatha Shlokardhanukramanika
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Bhagavatha Shlokardhanukramanika

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स एष यर्हि प्रकृते..182

स एष लोकानतिच..276

स एष लोके विख्यातः..36

स एष विष्णुर्वरदो..520

स एष साक्षात् पुरुषः..505

स एष साधो चरमो..106

स एष सार्थोऽर्थपरः..328

स कथं तद्गृहे द्वाःस्थः..55

स कथं धर्मसेतूनां..659

स कथं भगिनीं हन्याः..587

स कथं सेवया तस्य..101

स कथं ह्यर्पितात्मानं..368

स कदाचित्पितृलोक..303

स कदाचित्सरस्वत्या..13

स कदाचिदटमानो..308

स कदाचिदुपासीन..547

स कदाचिद् भ्रमंस्तस्मि..979

स कपित्थैर्महाकायः..618

स कल्पो यत्र मनव..966

स कल्यां शुककन्यायां..576

स कालः परमाणुर्वै..131

स कालो यद्वशे लोको..27

स किन्नरान् किंपुरुषा..161

स कुर्वन्नाहवं घोरं..831

स कृष्णरहितां श्रुत्वा..752

स कौसलपतिः प्रीतः..737

स खलु गोपिकानन्द..655

स खल्विदं भगवान् यो..237

स गच्छन् गगने विष्णु..742

स गजः प्राप्य गरुडं..747

स गत्वा किञ्चिदध्वानं..801

स गत्वा नर्मदां देवीं..729

स गत्वा हस्तिनपुरं..700

स गत्वा हस्तिनपुरं..722

स गामुदस्तात् सलिल..155

स गोदोहनमात्रं हि..12

स घर्मतप्तः करिभिः..478

स च प्राकृतैर्द्विपद..319

स च मायां समाश्रित्य..751

स च वृन्दावनगुणै..629

स च शम्बरमभ्येत्य..751

स च स्वर्लोकमारोक्ष्य..240

स चक्षुः सुतमाकूत्यां..242

स चचार महीमेतां..933

स चर्षणीनामुदगा..649

स चाजुहाव यमुनां..808

स चातिव्रीडितो रत्नं..733

स चानुचरसंयुक्तो..535

स चान्यद् धनुरादाय..729

स चापि तदु ह पितृ..319

स चापि पाण्डवेय सि..323

स चापि भगवद्धर्मा..195

स चापि यत्र पुरुषो..87

स चापि रुग्मिणः पौत्रीं..847

स चापि शतरूपायां..137

स चालब्ध्वा धनं सख्यु..838

स चावतीर्णं त्रियुग..172

स चावतीर्णः किल सा..672

स चाश्वैः शैब्यसुग्रीव..725

स चाह भगवांस्तस्मै..815

स चाह भूमा परमे..843

स चाहं वित्तलोभेन..519

स चाहेदमहो कष्टं..932

स चिन्तयन्नघं राज्ञः..551

स चिन्तयन्नित्थमथा..57

स चिरं मायया विष्णो..981

स चुक्रोशाहिना ग्रस्तः..661

स चेह विप्र राजर्षि..163

स जन्मनोपशान्तात्मा..242

स जहाति मतिं लोके..289

स तं गृहीत्वाऽथ पदो..621

स तं निशम्याभिमुखो..669

स तं नृपेन्द्राहवका..395

स तं प्रविष्टं वृतमा..778

स तं बिभ्रन् मणिं कण्ठे..731

स तं महाभागवतं..106

स तं विरजमर्काभं..162

स तं विवक्षन्तमत..230

स तं समीक्ष्याब्जभवो..522

स तत्करस्पर्शधुता..451

स तत्कीचकवल्मीका..432

स तत्र तत्रारुणप..619

स तत्र तत्रोभयसि..422

स तत्र निर्मुक्तसम..572

स तत्र हासीनमुदी..524

स तत्रानन्तरूपत्वं..830

स तथाविद्यमानस्य..713

स तदप्रियमाकर्ण्य..702

स तदा पुरुषव्याघ्रो..906

स तदा पुरुषव्याघ्रो..905

स तदा लब्धवीर्योऽपि..156

स तदिह विहाय स्व..360

स तदैवात्मनाऽऽत्मानं..196

स तद्वरपरीक्षार्थं..816

स तन्निकेतं परिमृ..517

स तन्निशम्यात्तरथा..156

स तर्कयामास कुतो..814

स तल्पात् तूर्णमुत्थाय..599

स तस्मिन् देवसदन..370

स तस्य तां दशां दृष्ट्वा..535

स तस्य हस्तोत्कलित..447

स तस्यां जनयामास..535

स तां कृतमलस्नानां..169

स तां विलोक्य नृपति..562

स तां वीक्ष्य कुरुक्षेत्रे..562

स तानाकर्ण्य नृपती..723

स तानादाय विप्राग्य्रः..836

स तानापततः शक्र..498

स तानापततो वीर..235

स तान् नरवरश्रेष्ठा..698

स तान् पृषत्कैरभिधा..236

स तान् प्रपन्नार्तिहरो..273

स तावत् तस्य रुष्टस्य..717

स तु कथमवशिष्ट..107

स तु पञ्चाशत्कोटिगु..349

स तु ब्रह्मऋषेरंसे..55

स तु राज्ञोऽनपत्यस्य..579

स तु विप्रेण संवादं..545

स तु विस्मित उत्थाय..782

स तु वृत्रस्य परिघं..398

स तु संश्रावयामास..12

स तु सत्यव्रतो राजा..531

स तुद्यमानोऽरिदुरु..154

स तूपलभ्यागतमा..216

स ते मा विनशेद् वीर..245

स तेनेहेत कर्माणि..472

स तेनैवाष्टधारेण..501

स तेपे मन्दरद्रोण्यां..430

स तेऽवतारं पुरुषैः..596

स तैर्व्यरोचत नृपः..26

स त्वं किमिति मां भूयः..667

स त्वं कृष्णे गते दूरं..51

स त्वं घोरादुग्रसेना..597

स त्वं जगत्त्राण खल..543

स त्वं जिघांससे कस्मा..252

स त्वं द्विजानुपथपु..150

स त्वं नो दर्शयात्मान..486

स त्वं प्रभोऽद्य वसुदे..699

स त्वं भूभारभूतानां..669

स त्वं भृतो मे जठरे..198

स त्वं ममापि कुरु शी..342

स त्वं ममैश्वर्यमद..646

स त्वं मयाऽप्यभिवृतः..724

स त्वं विचक्ष्व मृगचे..290

स त्वं विधत्स्व शं भूम..145

स त्वं विधत्स्वाखिललो..488

स त्वं विमृश्याभिभवं..257

स त्वं विहाय मां बन्धो..286

स त्वं शाधि स्वभृत्यान्नः..814

स त्वं समीहसि ततः..503

स त्वं हरेरनुध्यातः..236

स त्वं हि नित्यविजिता..452

स त्वमस्यामपत्यानि..138

स त्वयाऽऽराधितः शुक्लो..170

स त्वहं त्यक्तकारुण्य..599

स त्वात्मयोनिरतिवि..454

स त्वेवं शैशवं भुक्त्वा..193

स ददर्श विमानाग्र्यं..239

स दूषयति नः सर्वा..833

स दृष्ट्वा त्रस्तहृदयः..190

स दृष्ट्वा मातरो विष्णु..749

स देवदेवो भगवा..27

स धावन् क्रीडया भूमौ..684

स नः प्रसीदताद् भीमो..143

स नमस्कृत्य कृष्णाय..785

स नार्हति किल श्रीशो..811

स निजं रूपमास्थाय..670

स नित्यदोद्विग्नधिया..687

स निरीक्ष्याम्बरे देवं..432

स निर्गतः कौरवपु..98

स निर्गम्यावरोधान् स्वा..787

स निर्ममे पुरस्तिस्रो..459

स पत्नीं दीनवदनां..510

स पद्मकोशः सहसो..119

स पर्यावर्तमानेन..684

स पाञ्चालपतिः पुत्रा..282

स पाशहस्तांस्त्रीन् दृष्ट्वा..366

स पिता सा च जननी..689

स पुण्यबन्धुः पुरुषो..379

स पूयेताहरहर्मां..952

स पूर्ववैरं नृपतिः..710

स प्रविश्य पुरीं दिव्यां..804

स प्रविश्य सभां दिव्या..722

स प्रविश्य सभां दिव्यां..835

स प्रहस्य महाबाहो..145

स बद्धहृदयस्तस्मि..366

स बह्वृचस्ताभिरवा..547

स बाल एव पुरुषो..244

स बाहू तालसङ्काशौ..809

स बिभ्रत् पौरुषं धाम..590

स ब्रह्मवर्चसेनैव..516

स ब्रह्माणं ययौ प्रष्टुं..723

स भक्तियोगं लभते..945

स भवानचरद् घोरं..73

स भवानरविन्दाक्ष..794

स भवान् दुहितुः स्नेह..165

स भवान् सर्वलोकस्य..615

स भवान् सुहृदां वै नः..699

स भीमदुर्योधनयो..834

स भुक्तभोगां त्यक्त्वेमां..851

स भुक्तभोगां त्यक्त्वेमां..852

स भूतसूक्ष्मेन्द्रियस..68

स भूपालान् समाहूय..721

स भूयः पाञ्चजन्याया..379

स मत्स्यान् मालवांश्चेदी..706

स मागधं गृहीत्वाऽऽजौ..712

स मागधानतिक्रम्य..707

स मामचिन्तयद् देवः..895

स मामचिन्तयद् देवः..894

स मुक्तो लोकनाथाभ्यां..706

स मुक्तोऽस्त्राग्नितापेन..543

स मुहूर्तमभूत् तूष्णीं..101

स यत्प्रमाणं कुरुते..368

स यदा परमाचार्यं..382

स यदा वितथोद्योगो..815

स यदाऽनुगतः पुंसां..436

स याचितः सुरगणै..717

स याचितो भगवता..681

स याचितो मणिं क्वापि..732

स यामाद्यैः सुरगणै..9

स यावदुर्व्या भरमी..586

स येन सङ्ख्ये पशुव..449

स यैः स्पृष्टोऽभिदृष्टो वा..558

स योजनशतोत्सेधः..216

स रथं दारुकानीत..804

स रथं शैब्यसुग्रीव..802

स राजपुत्रो ववृध..36

स राजमण्डलायाशु..709

स राजराजेन वरा..238

स राजा महिषीं राज..282

स राजा सुकुमारस्य..402

स रामानुगतः श्रीमा..712

स रुग्मिणो दुहितर..847

स लब्धसञ्ज्ञः पुनरु..669

स लब्ध्वा कामगं यानं..799

स लीयते महान् स्वेषु..938

स लोकत्रयान्ते परि..349

स वज्रकूटाङ्गनिपा..139

स वञ्चयित्वा ग्रावाणं..809

स वञ्चितो बतात्मध्रु..271

स वर्षपूगानुदधौ..153

स वा अद्यतनाद्रजा..41

स वा अयं ब्रह्म मह..459

स वा अयं ब्रह्म मह..473

स वा अयं यत्पदम..31

स वा अयं सख्यनुगी..31

स वा अस्मत्कुलोत्पन्नः..975

स वा आङ्गिरसो ब्रह्म..56

स वा इदं विश्वममो..11

स वा एष तदा द्रष्टा..110

स वाग्विसर्गो जनता..15

स वाग्विसर्गो जनता..987

स वाच्यवाचकतया..94

स वाजिमेधेन यथो..400

स वालखिल्यवचना..387

स वासनात्मा विषयो..324

स वासुदेवानुचरं..99

स विचिन्त्याप्रियः स्त्रीणां..546

स विजित्य दिशः सर्वा..433

स विदर्भ इति प्रोक्त..581

स विदित्वाऽऽत्मजानां नो..142

स विदित्वाऽऽत्मनः शत्रुं..750

स विधास्यति ते कामा..511

स विधूयेह शमलं..867

स विधूयेह शमलं..867

स विप्रानुमतो राजा..243

स विलोक्येन्द्रवाय्वादी..484

स विश्वकायः पुरुहू..475

स विश्वजन्मस्थितिसं..109

स विश्वतैजसप्राज्ञ..983

स विश्वरूपस्तानाह..384

स विष्णुरातोऽतिथय..59

स विष्ण्वाख्यो धिया ज्ञेयः..189

स विस्मयोत्फुल्लविलो..594

स वीक्ष्य क्षुल्लकान् मर्त्या..720

स वीक्ष्य तावनुप्राप्तौ..662

स वीरमूर्तिः समभू..253

स वीरस्तस्य तद् दृष्ट्वा..565

स वेद धातुः पदवीं..11

स वेद परमं गुह्यं..369

स वै किलायं पुरुषः..30

स वै तदैव प्रतिप..230

स वै तिरोहितान् दृष्ट्वा..153

स वै तेभ्यो नमस्कृत्य..576

स वै त्वाष्ट्रवधो भूया..400

स वै देवर्षिवर्यस्तां..167

स वै देहस्तु पारक्यो..444

स वै द्रौण्यस्त्रसंछिन्नः..104

स वै धिया योगविपा..230

स वै न आद्यः पुरुषः..640

स वै न देवासुरम..481

स वै नः संकटादस्मा..530

स वै निवृत्तिधर्मेण..115

स वै निवृत्तिनिरतः..20

स वै पतिः स्यादकुतो..342

स वै पुण्यतमो देशः..468

स वै पुनः स्वसृष्टस्य..422

स वै पुसां परो धर्मो..5

स वै पूर्वमभूद्राजा..482

स वै प्रियतमो ह्यस्य..289

स वै बको नाम महा..618

स वै बत भ्रष्टमति..140

स वै बर्हिषि देवेभ्यो..388

स वै बहुयुगावासी..622

स वै भगवतः श्रीम..661

स वै भगवतः साक्षा..494

स वै भगवता तेन..732

स वै भवानात्मविनि..253

स वै भवान् वेदसम..15

स वै भवाल्ँलोकनिरी..323

स वै भविष्यन्निति वि..249

स वै भागवतो राजा..70

स वै मनः कृष्णपदा..540

स वै ममाशेषविशे..375

स वै महापूरुष आ..485

स वै महाभागवतः..54

स वै महाभागवतो..144

स वै मह्यं महाराज..968

स वै मे दर्शितं सद्भि..888

स वै मे दर्शितं सद्भि..888

स वै यदा महादेवो..377

स वै रुरोद देवानां..134

स वै विवस्वतः पुत्रो..533

स वै विशति खं राजं..966

स वै विश्वसृजां गर्भो..113

स वै विश्वसृजामीशो..136

स वै वृत्र इति प्रोक्तः..388

स वै सत्कर्मणां साक्षा..837

स वै समाधियोगेन..514

स वै स्वधर्मेण प्रजा..334

स वै स्वामी स वै भृत्यो..456

स वै स्वायम्भुवः सम्रा..137

स वै ह्यधिगतो दध्य..392

स व्यापकतयाऽऽत्मानं..285

स व्रीडितोऽवाग्वदनो..798

स शरासनमुद्यम्य..244

स श्येनवेग उत्पत्य..686

स श्रेयसामपि विभु..86

स संयुनक्ति भूतानि..39

स संवृतस्तत्र महा..59

स संहितां भागवतीं..20

स सङ्गत्य पुनः काले..195

स सत्त्वमेवं परितो..446

स सत्यभामां भगवा..733

स सन्नद्धो धनुर्दिव्य..545

स सप्तभिः शतैरेको..283

स सम्पदैश्वर्यमदा..400

स सम्प्राप्य भटैर्गुप्तं..739

स सम्राट् कस्य वा हेतोः..12

स सम्राट् लोकपालाना..574

स सम्राड् रथमारूढः..797

स सर्वदृगुपद्रष्टा..815

स सर्वनामा स च वि..375

स सर्वमन्त्रोपनिष..971

स सर्वविद्हृद्यनुभू..64

स साधु मेने न चिरे..57

स सिंहवाह आसाद्य..500

स हि जातः स्वसेतूनां..768

स हि प्रभूणां पुरुषा..737

स हि सर्वसुराध्यक्षो..601

स हि सर्वेषां ज्योतिर्ग..353

स होवाच मधुच्छन्दाः..567

स होवाच य एष दे..330

स होवाच शुको यथा..352

संकर्षणाय सूक्ष्माय..274

संकीर्त्यमानो भगवा..987

संक्रुद्धस्तमचक्षाणो..684

संक्षिप्तं वर्णयिष्यामि..942

संक्षोभयन् सृजत्यादौ..880

संक्षोभयन् सृजत्यादौ..881

संख्यातानि सहस्राणि..132

संगमः खलु विप्रर्षे..273

संगीयमानसत्कीर्तिः..166

संगीयमानानुचरै..502

संच्छिन्नभिन्नसर्वाङ्गाः..214

संछिन्नः संशयो मह्यं..116

संज्ञा छाया च राजेन्द्र..505

संज्ञानमात्रमव्यक्तं..377

संज्ञापितान् जीवसङ्घा..277

संदधे विशिखं भूमौ..252

संनिवेश्य मनो यस्मि..551

संपद्यमानमाज्ञाय..29

संपन्न एवेति विदु..11

संपीड्य पायुं पार्ष्णिभ्यां..270

संपृच्छे भव एतस्मि..265

संप्रपेदे हरिं भक्त्या..162

संप्रसन्ने भगवति..236

संप्रसीद त्वमस्माक..222

संभ्रान्तमीनोन्मकरा..490

संमोहनाय रचितं..186

संयच्छ रोषं भद्रं ते..237

संयत्ता उद्धॄतेष्वासा..760

संयम्य मन्युसंरम्भं..502

संयावं दधिसूपांश्च..944

संयावापूपशष्कुल्यः..642

संयास्यत्याशु निर्वाणं..901

संयास्यत्याशु निर्वाणं..901

संयुज्यन्ते वियुज्यन्ते..404

संयोगः संसृतेर्हेतु..170

संयोज्य क्षिपते भूय..757

संयोज्यात्मनि चात्मानं..956

संरंस्ये भवता साकं..562

संरक्षणाय साधूनां..702

संरमस्व मया साकं..562

संरम्भदुष्प्रेक्ष्यकरा..447

संरम्भभययोगेन..423

संरम्भी भिन्नदृग् भावं..187

संलक्ष्यते स्फटिककु..145

संवत्सरं किञ्चिदूनं..416

संवत्सरं तीर्थचर्यां..566

संवत्सरं पुंसवनं..416

संवत्सरं व्रतमिदं..415

संवत्सरः परिवत्स..132

संवत्सरशतं नॄणां..131

संवत्सरश्चण्डवेगः..287

संवत्सरसहस्रान्ते..114

संवत्सरान्ते तदघं..388

संवत्सरान्ते भगवा..799

संवत्सरान्तेऽपि भवा..563

संवत्सरावसानेन..131

संवत्सरोऽत्यगात् ताव..544

संवत्सरोऽस्म्यनिमिषा..908

संवत्सरोऽस्म्यनिमिषा..907

संवर्तको मेघगणो..856

संवर्तको मेघगणो..857

संवर्तोऽयाजयद्यं वै..536

संवादं महदाख्यातं..531

संवादः समभूत्तात..12

संविदित्वाऽथ भार्याया..143

संविधाय महेश्वासा..206

संविभज्याग्रतो विप्रा..784

संविश्य मृदुशय्यायां..621

संवीक्ष्य विश्वं सहसा..608

संवीक्ष्य संमुमुहुरु..496

संवृतैः कदलीस्तम्भैः..234

संवृतैः कदलीस्तम्भैः..260

संवृद्धवृषणः सोऽपि..572

संशयः शृण्वतो वाचं..891

संशयः शृण्वतो वाचं..891

संशयः सुमहान् जात..421

संशयोऽत्र न मे विप्र..290

संशयोऽथ विपर्यासो..179

संशयोऽयं महान् ब्रह्म..299

संश्रान्तवाहमरयो..45

संश्रावयेत् संशृणुया..982

संसरन्त्विह ये चामु..206

संसारः फलवांस्ताव..946

संसारकूपपतितो..757

संसारकूपपतितो..782

संसारकूपे पतितं..879

संसारकूपे पतितं..879

संसारचक्र एतस्मि..412

संसारचक्रे भ्रमतः..625

संसारतापनिष्टप्तो..855

संसारतापनिष्टप्तो..856

संसारधर्मैरविमु..854

संसारधर्मैरविमु..855

संसारसिन्धुमतिदु..968

संसारस्तन्निबन्धोऽयं..883

संसारस्तन्निबन्धोऽयं..883

संसारिणां करुणया..5

संसारेऽस्मिन् क्षणार्धोऽपि..852

संसारेऽस्मिन् क्षणार्धोऽपि..853

संसिक्तमार्गाङ्कणवी..781

संसिक्तरथ्यापणमा..680

संसिक्तवर्त्म करिणां..788

संसिद्धोऽसि तया राज..410

संसिद्ध्यत्याश्वसंमोहः..914

संसृतिं चात्मनाशं च..572

संसृतिस्तद्व्यवच्छेदो..288

संसृष्टाऽविदुषा सा च..805

संसेवया त्वयि विने..455

संसेवया सुरतरो..453

संसेवया सुरतरो..789

संस्कारकालो जायाया..468

संस्कारा यद्यविच्छिन्ना..461

संस्कारेणाथ कालेन..922

संस्तुतो भगवानित्थं..869

संस्तुतो भगवानित्थं..870

संस्तुतो भगवानित्थं..977

संस्तुतो भगवानेव..410

संस्तुत्य मुनयो रामं..834

संस्तुन्वतोऽब्धिपतितां..862

संस्तुन्वतोऽब्धिपतितां..863

संस्तूयमानः सन्तुष्टैः..712

संस्तूयमानो भगवा..788

संस्तूयमानो भगवा..792

संस्तूयमानो भगवा..809

संस्थां च पाण्डुपुत्राणां..21

संस्थां विज्ञाय संन्यस्य..71

संस्थानभुक्त्या भगवा..130

संस्थापनाय धर्मस्य..659

संस्थापयिष्यन्नज मा..253

संस्थापयैनां जगतां..140

संस्थाप्य चास्मान् प्रमृजा..155

संस्थाप्यो द्वारि रङ्गस्य..666

संस्थायां यस्त्वभिद्रोहो..392

संस्थितेऽतिरथे पाण्डौ..27

संस्थेति कविभिः प्रोक्ता..974

संस्पर्धया दग्धमथा..98